खटीमा उधम सिंह नगर
रामलीला मैदान में आयोजित रामलीला मंचन मैं विभीषण द्वारा रावण को राम जी से युद्ध न करने एवं उनसे माफी मांगते हुए मां सीता को वापस से सम्मान राम जी को सौंपने की बात कहने पर रावण ने क्रोधित होकर भरी सभा में विभीषण को लात मार कर एवं तिरस्कृत कर भरी सभा में अपने राज्य से बाहर निकाल दिया, विभीषण पात्र मुकेश कश्यप अपमानित होकर भगवान श्री राम की शरण में पहुंचे जहां भगवान श्री राम ने उन्हें गले लगा कर उन्हें उनका खोया हुआ सम्मान दिलाने का वचन दिया राम विभीषण मित्रता के बाद जब श्री राम जी द्वारा लंका पर चढ़ाई शुरू कर दी गई एवं युद्ध के लिए अपनी सेवा लेकर लंका विजय की ओर प्रस्थान किया युद्ध क्षेत्र में रावण के पात्र सतपाल बत्रा द्वारा अपने पुत्र मेघनाथ जो तीनों लोकों में विजय प्राप्त कर चुका था जिसे इंद्रजीत नाम से भी जाना जाता था मेघनाथ के पात्र अर्चित अग्रवाल को युद्ध क्षेत्र में भेजा जहां लक्ष्मण एवं मेघनाथ का युद्ध हुआ, मेघनाथ को अपनी शक्ति पर बड़ा घमंड था लक्ष्मण द्वारा मेघनाथ की सेना का अंत होते देखा तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करने वाला इंद्रजीत रूपी मेघनाथ क्रोधित होकर वीरधातनी अस्त्र का प्रयोग कर लक्ष्मण को मूर्छित कर देता है, अहंकार में चूर मेघनाथ मूर्छित लक्ष्मण को अपने भुजाओं से उठाने का प्रयास करता है, संपूर्ण शक्ति लगाने के बावजूद भी मेघनाथ मूर्छित लक्ष्मण को हिला भी नहीं पता है और क्रोधित होकर लंका को प्रस्थान कर जाता है लक्ष्मण के मूर्छित होने की सूचना श्री राम जी को प्राप्त होती है तो वह व्याकुल हो उठते हैं, सुषेण वेद के कहने पर हनुमान जी हिमालय पर्वत पर संजीवनी बूटी लेने के लिए प्रस्थान करते हैं संजीवनी बूटी की खोज में निकले हनुमान पूरा हिमालय पर्वत उठाकर अपने साथ ले आते हैं, आज के रामलीला मंचन में मुख्य रूप से कमेटी के संरक्षक राजीव अग्रवाल अध्यक्ष राजेश गुप्ता महामंत्री मनोज श्रीवास्तव कोषाध्यक्ष राधेश्याम कश्यप विशेष आमंत्रित सदस्य मनोज वाधवा संचालन गौरी शंकर अग्रवाल एवं इंद्रेश गुंबर ने किया
रिपोर्ट सलीम