पेड़ो की चीख गूंजती रही और वन विभाग व पुलिस सोती रही
जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं, तो जंगल कौन बचाएगा ?
सुजीत कुमार मिश्रा
मानिकपुर प्रतापगढ़
U न्यूज़
मानिकपुर प्रतापगढ़ के वन क्षेत्रों में इन दिनों ‘हरियाली’ की हत्या खुलेआम हो रही है। फलदार हरे आम के वृक्षों पर आरी चल रही है — और वह भी विभागीय संरक्षण में। यह कोई आरोप नहीं, बल्कि कैमरे में कैद हुई सच्चाई है।
जब माफिया बोले – ‘दरोगा से बात हो गई है-
बृहस्पतिवार को अतौलिया ग्राम सभा, कालाकांकर वन क्षेत्र में चार हरे-भरे फलदार आम के वृक्षों को काट डाला गया। ग्रामीणों ने विरोध किया, मीडिया ने मौके पर पहुंचकर बीट दरोगा दिनेश पटेल से बात की — तो वे गुस्से से आगबबूला हो उठे। कारण? गुप्त कैमरे में एक माफिया का बयान कैद हो चुका था, जिसमें वह साफ-साफ कहता है कि “दरोगा से बात हो गई थी।”
इनसेट भड़चक में भी कटे पेड़
महज दो दिन पहले भड़चक गांव में भी तीन हरे आम के वृक्ष काटे गए। वहां भी वही कहानी — न कोई रोक, न कोई कार्रवाई।
कैसा पर्यावरण संरक्षण, कहां है कानून?
वन विभाग और पुलिस की शह पर वर्षों से कुंडा व कालाकांकर क्षेत्र में हरे वृक्षों की कटाई और अवैध आरा मशीनों का संचालन बेरोकटोक जारी है। जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी और डीएफओ के ‘पर्यावरण संरक्षण’ के दावे अब खोखले भाषणों जैसे प्रतीत हो रहा हैं।
जुर्माने से नहीं, कानून से हो जवाब
ग्रामीणों का कहना है कि जब मामला गर्माता है तो वन विभाग केवल जुर्माना लगाकर खानापूर्ति करता है। यह जुर्माना नहीं, बल्कि माफियाओं के लिए ‘क्लियरेंस सर्टिफिकेट’ बन चुका है। इसका नतीजा है कि हर दिन जंगल और पेड़ कट रहे हैं — और हम चुपचाप देख रहे हैं।
अब सवाल यह नहीं कि पेड़ क्यों कटे?
अब सवाल यह है कि शासन-प्रशासन की नाक के नीचे कैसे कट गए?
आज जब पूरा देश और दुनिया जलवायु संकट से जूझ रही है, तब यदि ग्राम स्तर पर हरियाली को यूं बेरहमी से काटा जाएगा, और विभागीय मिलीभगत से किया जाएगा — तो यह न केवल प्रकृति के साथ विश्वासघात है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की सांसें छीनने जैसा अपराध है।
अब वक्त आ गया है कि जिलाधिकारी और डीएफओ जैसे वरिष्ठ अधिकारी कैमरे से नहीं, कर्तव्य से जवाब दें। वरना वो दिन दूर नहीं जब हम सिर्फ किताबों में हरे पेड़ों की तस्वीरें देख पाएंगे।
बड़ा सवाल
1. जब वन विभाग बना वन माफियाओं का प्रहरी
2. पेड़ों की चीखें गूंजती रहीं, व्यवस्था सोती रही
3. हरियाली की हत्या पर मौन क्यों है प्रशासन?

यूपी एडिटर सुनील कुमार तिवारी उत्तर प्रदेश हेल्पलाइन नंबर
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