*शिव पुराण में माता पार्वती जी के जन्म की कथा सुनाई, डॉ. शेख जाकिर*
*बैतूल:* वीर कुंवर सिंह नगर पाथाखेड़ा में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के पंचम दिवस मथुरा वृंदावन से आई देवी चंद्रमुखी ने पार्वती के जन्म की कथा सुनाई। माता पार्वती ने भगवान शिव को कड़ी तपस्या के बाद प्रसन्न किया। माता सती भगवान शिव की पहली पत्नी है। प्रजापति दक्ष की पुत्री है। राजा दक्ष ने अपनी तपस्या से देवी भगवती को प्रसन्न किया। जिसके बाद माता भगवती ने ही सती के रूप में उनके घर में जन्म लिया। देवी भगवती का रूप होने के कारण दक्ष की सभी पुत्री में सबसे अलौकिक थी। वह बचपन से ही भगवान शिव की भक्ति में लीन रहती थी। सती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सच्चे मन से उनकी आराधना की थी। उन्हें इसका फल भी प्राप्त हुआ और उन्हें शिव पति के रूप में प्राप्त हुए।
सती ने दी प्राणों की आहुति
राजा दक्ष भगवान शिव को अपनी बेटी के लिए योग्य वर नहीं मानते थे। राजा दक्ष के विरुद्ध जाकर माता सती ने भगवान शिव से विवाह किया। घृणा के कारण दक्ष ने यज्ञ में भगवान शिव और माता पार्वती को आमंत्रित नहीं किया। जिस कारण माता सती ने यज्ञ स्थल में अपने प्राणों की आहुति दे दी। माता सती ने अपना शरीर का त्याग करते समय संकल्प किया कि मैं राजा हिमालय के यहां जन्म लेकर शंकर जी की अर्धांगिनी बनूंगी दूसरी ओर माता सती की प्राणों की आहुति देने के बाद भगवान सदैव उन्हें स्मरण करते रहते थे। उसके बाद माता सती पर्वत राज हिमालय की पत्नी मेनका के गर्भ से जन्म लिया। पर्वत राज की पुत्री होने के कारण वह पार्वती कहलाई पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए वन में तपस्या करने चली गई अनेक वर्षों तक कठिन तपस्या करने के बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और उनसे विवाह किया। इस धार्मिक आयोजन में ब्रजकिशोर पवार, खुशीलाल पवार, सुभाष पवार, राजा पवार, निशांत भंडारे, सतीश खंडाग्रे, बबलू बिहारे, महेंद्र पवार, छोटू वर्मा और सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।